
अजीत मिश्रा (खोजी)
।। दोफड़ा ग्राम पंचायत का मस्टरोल घोटाला: भ्रष्टाचार की दलदल में डूबा पूरा सिस्टम, नकली प्रधान बना ‘लूट का सरगना ।।
कुदरहा- बस्ती।। कुदरहा विकास खंड की दोफड़ा ग्राम पंचायत इस वक्त भ्रष्टाचार की सबसे गंदी मिसाल बन चुकी है। यहां मस्टरोल के नाम पर फर्जीवाड़ा, मनरेगा में लूट, और योजनाओं में जमकर घपला—सब कुछ ऐसे चल रहा है जैसे सिस्टम ही इस गंदगी का संरक्षक हो।गांव में 64 मजदूरों के नाम पर मस्टरोल भरा जा रहा है, लेकिन ज़मीन पर एक भी मजदूर दिखाई नहीं देता। जहां काम होना चाहिए, वहां सूखी ज़मीन, टूटी नालियां, अधूरी सड़के और कागजों पर बनी योजनाएं। ये सब कुछ मिलकर इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पैसा सिर्फ कागजों पर बह रहा है, असल में नहीं।सबसे बड़ी बात — इस पूरे खेल का संचालन कर रहा है एक नकली प्रधान, जिसकी कोई वैधानिक मान्यता नहीं है। असली प्रधान का पता तक किसी को नहीं। गांव की सत्ता एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में है, जिसने अधिकारियों से साठगांठ कर पंचायत को अपनी जेब बना ली है।सचिव, रोजगार सेवक, तकनीकी सहायक और पंचायत सहायक सब इस लूट में शामिल हैं। जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं। शिकायतें होती हैं, लेकिन फाइलें कुर्सियों के नीचे धूल फांकती रह जाती हैं।गांव वालों का सवाल सीधा है — जब काम ही नहीं हुआ, तो मजदूरों के नाम पर पैसा कैसे निकला?क्या मस्टरोल पर भूत-प्रेत दस्तखत कर रहे हैं?और कब तक यह नकली प्रधान सरकारी धन को अपनी जेब में उड़ेलता रहेगा?कुदरहा बीडीओ साहब से लेकर कुदरहा के जिम्मेदार अफसर तक सबकी चुप्पी इस बात का प्रमाण है कि या तो सबकुछ उनकी जानकारी में है, या फिर वे भी इस खेल का हिस्सा बन चुके हैं।दोफड़ा अब कोई साधारण पंचायत नहीं, भ्रष्टाचार की खुली मंडी बन चुकी है। यहां ईमानदारी का दम घुट चुका है, और प्रशासनिक व्यवस्था की लाश सड़कों पर पड़ी है।जनता पूछ रही है — दोफड़ा का मस्टरोल आखिर कब “शून्य” होगा? और कब नकली प्रधान को उसकी सही जगह यानि जेल में डाला जाएगा?ये पंचायत नहीं, घोटाले की फैक्ट्री है। और अफसर हैं इस फैक्ट्री के मूक गवाह।जवाब चाहिए प्रशासन से, वरना दोफड़ा के लोग सड़कों पर उतरेंगे।